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अर्थार्थ: पानी एक हिस्से में घुसा था, बैंकों का विलय अब पूरे जहाज़ को ले डूबेगा!
इधर बीच सरकार की ओर से जारी किये गये बयान साफ दिखाते हैं कि उसके भीतर हलचल है। रोज़ कोई नया बयान जारी कर सरकार अपने निकम्मेपन को ढंकने का प्रयास कर रही है, पर सभी घोषणाएं यही इशारा कर रही हैं कि सरकार अपनी बरबादी के ब्लूप्रिंट को लागू करने की ओर अग्रसर है। सरकारी बैंकों के विलय पर की गई प्रेस कांफ्रेंस के ठीक बाद जीडीपी के आंकड़े जारी हुए। यह दर्शा रहा है कि सरकार अपने भुलावे को कायम रखना चाहती है। विलय की घोषणा के वक्त एक पत्रकार के सवाल पर माननीया बिफर पड़ीं। अगर यह आंकड़ा पहले जारी हुआ होता तब किस तरह के सवाल…