-
अर्थार्थ : NPA पर ओढ़ाया गया उदारीकरण का जामा एक महान घोटाले का संकेत है
1991-1992 के बजट भाषण को तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने फ्रांसीसी उपन्यासकार विक्टर ह्यूगो के एक उद्धरण के साथ समाप्त किया था: “पृथ्वी पर कोई भी शक्ति एक विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है। पूरी दुनिया में जोर से और स्पष्ट सुनाई दे कि भारत अब व्यापक तौर पर जागृत है। हम प्रबल होंगे और दूर तक जाएंगे”। सिंह की इस घोषणा के साथ ही भारत में आर्थिक उदारीकरण का दौर प्रारम्भ हुआ। इन सुधारों से जिस पैमाने पर बदलाव हुए वे कभी नहीं देखे गये थे। इन सुधारों पर कई जानकारों का मत था कि ये 1980 के दशक में "चुपके से” शुरू किए…