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अर्थार्थ : अपराधियों, हत्यारों, बलात्कारियों, बेईमानों की आज़ादी
किस बात की शुभकामना देना उचित है यह भी विचारणीय हो चला है। आज़ादी पर शुभकामना देना तो अब दकियानूसी बात ही है। जहां लोग अन्याय के खिलाफ सिर्फ आवाज़ उठाने पर कैद कर लिए जाएं, तो यह कैसे मानें कि वह मुल्क आज़ाद लोगों का है? कौन आज़ाद है यहां? क्या आप आज़ाद हैं?