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अर्थार्थ : क्या सरकार के इशारे पर बैंकिंग संकट को बढ़ा रहा है रिज़र्व बैंक?
भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते मंगलवार, 24 सितम्बर को पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक से लेन-देन पर रोक लगा दी है। पीएमसी बैंक की 137 शाखाओं में से 81 मुंबई और इसके आसपास के शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस शहरी सहकारी बैंक को किसी भी प्रकार की व्यावसायिक लेन-देन करने पर रोक लगा दी है और बैंक के जमाकर्ताओं द्वारा निकाली जा सकने वाली राशि को 10,000 रुपए तक सीमित कर दिया है।
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अर्थार्थ : NPA पर ओढ़ाया गया उदारीकरण का जामा एक महान घोटाले का संकेत है
1991-1992 के बजट भाषण को तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने फ्रांसीसी उपन्यासकार विक्टर ह्यूगो के एक उद्धरण के साथ समाप्त किया था: “पृथ्वी पर कोई भी शक्ति एक विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है। पूरी दुनिया में जोर से और स्पष्ट सुनाई दे कि भारत अब व्यापक तौर पर जागृत है। हम प्रबल होंगे और दूर तक जाएंगे”। सिंह की इस घोषणा के साथ ही भारत में आर्थिक उदारीकरण का दौर प्रारम्भ हुआ। इन सुधारों से जिस पैमाने पर बदलाव हुए वे कभी नहीं देखे गये थे। इन सुधारों पर कई जानकारों का मत था कि ये 1980 के दशक में "चुपके से” शुरू किए…