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Surya Kant Singh

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    कोरोना के दंश से बढ़ती असमानता

    April 19, 2020 / 0 Comments

    पिछले हफ्ते दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर पैसा छापना शुरू कर दिया है। कोरोना वायरस के प्रकोप और संबद्ध आर्थिक बंदी के कारण सरकारों और अवाम के कुल खर्च में भारी कमी आयी है। चूंकि एक व्यक्ति का खर्च दूसरे व्यक्ति की आय होती है, इस वजह से आय में भारी समाजव्यापी कमी आयी है। बुरी तरह से हताश लोगों को बचाने के लिए सरकारों ने सरकारी खजाने से सीधे इस आय की पूर्ति करने की पेशकश की है। सरकारें बॉन्ड जारी कर के यह पैसा निवेशकों से उधार लेंगी। निवेशक, अपने पास मौजूद सरकारी बॉन्डों को वापस…

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    Surya Kant Singh

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    The Longest National Lockdown Ever

    March 25, 2020
  • Democracy,  Economy

    The Longest National Lockdown Ever

    March 25, 2020 / 0 Comments

    Global concerns over any contingency seldom had any effect on any of the regimes in India. Be it Tsunami, SARS or Anthrax, India has been the last to respond and more often than not, our preparations were less than sufficient. The escalating concern of the past four months had no effect on the GOI and as a result, we are where we are.

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    Surya Kant Singh

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  • Economy

    अर्थार्थ : क्या सरकार के इशारे पर बैंकिंग संकट को बढ़ा रहा है रिज़र्व बैंक?

    October 3, 2019 / 2 Comments

    भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते मंगलवार, 24 सितम्बर को पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक से लेन-देन पर रोक लगा दी है। पीएमसी बैंक की 137 शाखाओं में से 81 मुंबई और इसके आसपास के शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस शहरी सहकारी बैंक को किसी भी प्रकार की व्यावसायिक लेन-देन करने पर रोक लगा दी है और बैंक के जमाकर्ताओं द्वारा निकाली जा सकने वाली राशि को 10,000 रुपए तक सीमित कर दिया है।

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    Surya Kant Singh

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    The Longest National Lockdown Ever

    March 25, 2020
  • Economy

    अर्थार्थ : LNG सौदे को ‘उपलब्धि’ बताकर 7.5 अरब डॉलर की ठगी को कैसे छुपाया गया

    September 26, 2019 / 4 Comments

    नरेंद्र मोदी के अमरीका पहुंचने के साथ ही 7.5 अरब डॉलर के एलएनजी डील की खबर आने लगी। टेल्यूरियन इंक ने कहा कि लुइसियाना में प्रस्तावित उसके तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल में हिस्सेदारी खरीदने के लिए भारत के पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड से 7.5 अरब डॉलर (53 हज़ार करोड रुपए) के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो संभवतः अमेरिका में शेल गैस के निर्यात के लिए किया गया सबसे बड़ा विदेशी निवेश हो सकता है।

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    Surya Kant Singh

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    कोरोना के दंश से बढ़ती असमानता

    April 19, 2020
  • Economy

    अर्थार्थ : रियल एस्‍टेट के ‘सरकारी’ बुलबुले में कैसे फंस गया घर का सपना

    September 19, 2019 / 0 Comments

    अनुकूल जन-सांख्यिकी, आवास की भारी कमी, आसान कर्ज और अर्थव्यवस्था में काले धन के वेग ने रियल एस्टेट को भारत में डेढ़ दशक तक निवेश का सबसे पसंदीदा क्षेत्र बनाए रखा। इसमें भी लगभग एक दशक हाउसिंग सेक्‍टर के लिए “बुल रन” का दौर था जिसके परिणामस्वरूप रियल एस्टेट हमारे समाज में सबसे विश्वसनीय निवेश के रूप में स्थापित हुआ।

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    Surya Kant Singh

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  • Economy

    अर्थार्थ : नकारात्मक ब्याज दरें और गिरते डॉलर पर बढ़ती भारत की निर्भरता

    September 13, 2019 / 0 Comments

    आरबीआइ की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी विदेशी मुद्रा का स्तर बढ़ाने पर विचार कर रही है। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि आरबीआइ की स्वायत्तता खतम हो चली है। आरबीआइ के गवर्नर की पात्रता और कार्यशैली से लेकर भ्रामक भाषा के प्रयोग तक तमाम सवाल उठाये जा चुके हैं। सरकार अपने एकाधिकार का प्रयोग कर के देश की सम्पत्ति से जितना निचोड़ने में सक्षम थी, निचोड़ चुकी है पर आगे लिए जाने वाले कदम भ्रष्टाचार या सिंडिकेटेड लूट नहीं बल्कि बरबादी का कारण बनेंगे!

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    Surya Kant Singh

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    अर्थार्थ: पानी एक हिस्‍से में घुसा था, बैंकों का विलय अब पूरे जहाज़ को ले डूबेगा!

    September 5, 2019 / 0 Comments

    इधर बीच सरकार की ओर से जारी किये गये बयान साफ दिखाते हैं कि उसके भीतर हलचल है। रोज़ कोई नया बयान जारी कर सरकार अपने निकम्मेपन को ढंकने का प्रयास कर रही है, पर सभी घोषणाएं यही इशारा कर रही हैं कि सरकार अपनी बरबादी के ब्लूप्रिंट को लागू करने की ओर अग्रसर है। सरकारी बैंकों के विलय पर की गई प्रेस कांफ्रेंस के ठीक बाद जीडीपी के आंकड़े जारी हुए। यह दर्शा रहा है कि सरकार अपने भुलावे को कायम रखना चाहती है। विलय की घोषणा के वक्त एक पत्रकार के सवाल पर माननीया बिफर पड़ीं। अगर यह आंकड़ा पहले जारी हुआ होता तब किस तरह के सवाल…

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    Surya Kant Singh

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    August 29, 2019 / 0 Comments

    जालान समिति के हाल के सुझाव भारतीय रिजर्व बैंक की बरबादी का सबब बन सकते हैं। जिनको पता न हो वे जान लें कि पूर्व आरबीआइ गवर्नर बिमल जालान के नेतृत्व वाली समिति ने आरबीआइ को यह सुझाव दिया है कि वह अपनी आकस्मिक निधि से भारत सरकार को 1,76,000 करोड़ रुपये सौंप दे। यह राशि आरबीआइ द्वारा किसी सरकार को दी गयी अब तक की सबसे बडी राशि होगी, वह भी तब, जब भारत सरकार ने मंदी को ही नहीं स्वीकारा है। आधिकारिक बयानों से भी यह साफ नहीं हो पाया है कि सरकार इतनी बड़ी रकम का क्या करेगी। इस बीच कयासों का दौर भी चल निकला है।

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    August 23, 2019 / 0 Comments

    हाल में ही आयी एक खबर से अमेरिकी शेयर बाज़ार में गिरावट दर्ज़ हुई। अमेरिकी ट्रेजरी का यील्ड कर्व अस्थायी रूप से बुधवार, 14 अगस्त को उलट गया। इस घटना को यील्ड कर्व इनवर्जन कहा जाता है। यह जून 2007 के बाद से पहली बार हुआ है और निवेशक इसे लेकर बहुत चिंतित हैं। अमेरिकी यील्ड कर्व पिछले 50 वर्षों में हर बार रिसेशन से पहले उलट गया था। यील्ड कर्व उलटने के बाद अधिकतम दो वर्षों के भीतर अमरीकी अर्थव्यवस्था में रिसेशन आने का इतिहास रहा है और यह संकेत 10 में से 9 बार रिसेशन के संकेत के रूप में सही सिद्ध हुआ है। इसलिये निवेशक यह मान…

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    Surya Kant Singh

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    अब यह बात स्थापित हो चुकी है कि भारत मंदी की चपेट में आ रहा है। तमाम उद्योगपतियों से लेकर बड़े औद्योगिक घरानों तक ने बयान जारी कर इस विषय पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने की असफल कोशिश की है। टेक्सटाइल और चाय उद्योग ने मंदी की खबरें न दिखाए जाने से तंग आ कर विज्ञापन ही दे डाला। अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने भी इस विषय को मुखर तौर से उठाया है। याद रहे कि राजन ही थे जिन्‍होंने 2007-08 की आर्थिक मंदी से साल भर पहले ही ‌‌‌‌‌‌‌‌अमरीकी बैंकरों को चेता दिया था। मंदी से औद्योगिक उत्पादन लगातार गिर रहा है और नौकरियां जा रही हैं। बेरोज़गार हो…

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    Surya Kant Singh

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