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Slavoj Zizek: अमेरिकी विरोध में ट्रम्प की नीतियों के शिकार खुद अपराध मिटाने में अपराधियों की मदद कर रहे हैं
ट्रम्प श्रमिकों की हत्या के दोषी नहीं हैं, उन्होंने एक स्वतंत्र विकल्प बनाया, लेकिन ट्रम्प उन्हें ‘स्वतंत्र’ विकल्प की पेशकश करने के दोषी हैं, जिसमें जीवित रहने का एकमात्र तरीका मौत का जोखिम है, और वह उन्हें ऐसी स्थिति में डालकर उन्हें और अपमानित कर रहे हैं जिससे उन्हें अपने कार्यस्थल पर मरने के अपने ‘अधिकार’ के लिए प्रदर्शन करना पड़े।
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अंतर्राष्ट्रीयवाद का संघर्ष
पूंजीवाद के संकट की इस निर्णायक घड़ी में पी.आई. काउंसिल के सदस्य एर्टुगरुल कुरकू के विचार
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कलियुग से दुखी जनता को सतयुग और त्रेता में वापस खींच ले जाने के सरकारी नुस्खे
याद करिये, रामायण और महाभारत का पहला प्रसारण कब हुआ था? वह किस सरकार के अधीन हुआ था? क्या उस वक्त भी केवल ‘मनोरंजन’ हीं इसका ध्येय था? नहीं था, इसीलिए आज भी कई मंदिर ऐसे हैं जहां पर रामायण के किरदार राम और सीता की तरह पूजे जाते हैं, वहां बाकायदा उनकी तस्वीर स्थापित है। मेरे बचपन में जब रामायण और महाभारत का पुनः प्रसारण हो रहा था तब भी यानी नब्बे के दशक में लोग हाथ-पांव धोकर और अगरबत्तियाँ जलाकर रामायण और महाभारत देखने बैठते थे। यह इस बात को स्थापित करता है कि हमारे भीतर का भक्त मारा नहीं जा सकता। उलटे वह हल्की सी चिंगारी से…
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अरुंधति रॉय: हमारा कार्य इस इंजन को बंद करना है
वरिष्ठ लेखिका और पी-आई काउंसिल की सदस्य अरुंधति रॉय कोविड-19 और “सुपर-सर्वेलेन्स” राज्य पर।
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कोरोना के बाद बनने वाली ‘नयी वैश्विक व्यवस्था’ के पांच एजेंडे
कोरोना वायरस से उपजी महामारी पर बहस करते हुए अक्सर दो बातें सामने आती हैं। एक, इस त्रासदी को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। दूसरी, इसे रोकने के लिए सरकारें उतनी तत्पर नहीं दिख रही हैं। इन दोनों ही धारणाओं के पीछे एक सहज सवाल पैदा होता हैः क्या इस महामारी के पीछे कोई एजेंडा है? अगर है, तो क्या?
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मई दिवस पर मजदूर भाइयों के नाम खुला पत्र !
वातानुकूलित कमरे में बैठ कर मार्क्सवाद-लेनिनवाद पर बहस करने का अलग ही मज़ा है। क्या तुम्हें लेनिन के बारे में पता है? मुझे पता है। उनके संकलित कार्य 40 अंकों में प्रकाशित हुए हैं, एक का मूल्य 2,000 रुपए है। क्या कभी उनको, अपने भाग्यविधाता को पढ़ पाओगे? इसलिए अभागे हो तुम।
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The Prime Causality behind the ‘Unjust’ in Society
The human existence from the evolutionary stance appears to have landed on an ambiguous juncture where only a few can claim to have some vague idea of the future course of happenings. After millions of years of evolution and supposedly superior consciousness, one must argue that man-made systems governing almost all the facets of our lives should have evolved to perfection. Even at the least, they should have been in a better shape than they are as of now. This article is aimed at debating on our systemic errors from a philosophical perspective, their causes, effects and possible implications. It also touches upon the possible future outcomes if we continue…
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नफरत की राजनीति जनता के लिए आकर्षक क्यों है?
ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट में “ग्लोबल स्विंग टू द राइट | दक्षिणपंथ की ओर दुनिया का झुकाव ” पर अर्जुन अप्पादुरई के सार्वजनिक व्याख्यान की एक रिकॉर्डिंग दुनिया भर में सत्तावादी लोकलुभावन नेताओं और आंदोलनों के हालिया उदय का विश्लेषण करती है। “द रिवाल्ट ऑफ द एलाइट्स” पर उनका नया अंश दुनिया के विभिन्न हिस्सों में “नए” अभिजात वर्ग, जिन्होंने लोगों के नाम पर लोकतंत्र के खिलाफ विरोधाभासी रूप से विद्रोह किया है, के राजनीतिक कार्यक्रमों का एक निर्णायक विश्लेषण है। यह उस अभिजात वर्ग की सामाजिक संरचना का विश्लेषण करता है जिन्होंने कारण के बजाय प्रभाव का उपयोग करके एथेनोफोबिया के अपने संदेश को जन-जन तक पहुंचाया और चुनावी राजनीति पर…
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Was the reorganisation of J&K a precursor to something bigger?
“When deals of weapons become profit-oriented, they foster conflicts simply to justify and continue that profit-making through weapons and war.”
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कोरोना के दंश से बढ़ती असमानता
पिछले हफ्ते दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर पैसा छापना शुरू कर दिया है। कोरोना वायरस के प्रकोप और संबद्ध आर्थिक बंदी के कारण सरकारों और अवाम के कुल खर्च में भारी कमी आयी है। चूंकि एक व्यक्ति का खर्च दूसरे व्यक्ति की आय होती है, इस वजह से आय में भारी समाजव्यापी कमी आयी है। बुरी तरह से हताश लोगों को बचाने के लिए सरकारों ने सरकारी खजाने से सीधे इस आय की पूर्ति करने की पेशकश की है। सरकारें बॉन्ड जारी कर के यह पैसा निवेशकों से उधार लेंगी। निवेशक, अपने पास मौजूद सरकारी बॉन्डों को वापस…